जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योग की समस्यायें एवं सम्भावानाओं का अध्ययन
डॉ. सुषमा चौधरी
अतिथि विद्वान (अर्थशास्त्र), शासकीय महाविद्यालय, नागौद, सतना (म.प्र.)
*Corresponding Author E-mail:
ABSTRACT:
कृषि आधारित उद्योग में वे सभी उद्योग या व्यवसायों को शामिल किया जाता है जिसमें कच्चा माल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया गया हो। इन उद्योगों का विकास हमारे देश में प्राचीन काल से ही था परन्तु देश में मुगल एवं अंग्रेजी दासता से इन उद्योगों के विकास की गति थम सी गयी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से कृषि आधारित उद्योगों का विकास सरकारी नीतियों के कारण हो रहा है। इन उद्योगों में चावल मिल, दाल मिल, आटा मिल, तेल मिल, बेकरी उद्योग, अचार उद्योग आदि आते है। इन उद्योगों में प्रसंस्करण इकाइयाँ एवं कृषि के मशीनीकरण के सामान भी शामिल किये जाते है। इन उद्योगों मंे सामान्यतः कम पूँजी की आवश्यकता होती है तथा ये मौसमी भी हो सकते है। इस शोध पत्र में स्वतंत्र एवं परतंत्र चरो को शामिल किया गया है इसमें स्वनिर्मित प्रश्नावली का प्रयोग करके वित्त व सामग्री आदि समस्यायें एवं रोजगार व बाजार आदि की सम्भावनाओं से सम्बन्धित प्रश्नों के आधार पर परिकल्पना की जाँच की गयी है जिसमें परिकल्पना क्रमांक (1) व (3) सत्य पाई गई तथा (2) असत्य पाई गयी है।
KEYWORDS: उद्योग/व्यवसाय, उत्पादन, नीतियाँ, योजनाएं, प्रसंस्करण, वित्त, तकनीकी, ऋण, रोजगार, माल, समाधान।
INTRODUCTION:
कृषि आधारित उद्योगों में विभिन्न औद्योगिक प्रसंस्करण और विनिर्माण को शामिल किया जाता है जिसमें कृषि पर आधारित कच्चे माल का प्रयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर किया जाता है। इसके अंतर्गत ऐसी गतिविधियाँ एवं सेवाओं को भी शामिल किया जाता है जो इनपुट के रूप में खेती से प्राप्त की जाती है। कृषि उद्योग दो प्रकार के हो सकते है- (अ) प्रसंस्करण उद्योग या कृषि आधारित उद्योग एवं (ब) कृषि उद्योग/प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि के लिए तैयार और विनिर्माण की क्रिया को कृषि उद्योग कहा जाता है एवं कृषि आधारित उद्योग प्रक्रिया के संसाधनों को शामिल किया जाता है।
कृषि पर आधारित उद्योग प्राचीन काल से ही किये जाते रहे हैं। हमारे देश में कृषि आधारित उद्योगों को लघु एवं कुटीर उद्योगों के रूप में किया जाता था। क्योंकि पूंजी बाजार यातायात के साधन व संचार की समस्यायें थी फिर भी समाज में लोग आत्मनिर्भर थे जिससे देश भी आत्मनिर्भर था किन्तु मुगल साम्राज्य की स्थापना होते ही इनके विकास में कमी आयी तथा अंग्रेजी दासता से कृषि उद्योगों की दशा दयनीय हो गयी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शासन की नीतियों पंचवर्षीय योजनाओं एवं हमारे देश की अधिकांश जनता कृषि पर निर्भर होने के कारण से इनमें विकास की गति आयी है। फसलों के आधार पर निम्नलिखित प्रमुख उद्योगों का संचालन किया जाता है।
कृषि आधारित उद्योगों की विशेषताएं-
कृषि आधारित उद्योगों की निम्नलिखित विशेषताएं है &
1. फल एवं सब्जी प्रसंस्करण इकाइयों, डेयरी, संयंत्रों चावल मिलों, दाल मिलांे, आदि को शामिल करने वाली इकाइयाँ, कृषि प्रसंस्करण इकाइयाँ होती है।2
2. कृषि औजार, बीज, उद्योग, सिंचाई उपकरण उर्वरक, कीटनाशक आदि के मशीनीकरण को शामिल करने वाली कृषि इनपुट निर्माण इकाइयाँ शामिल है।
3. कृषि आधारित उद्योगों का कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है तथा इससे ही इन उद्योगों/मिल का संचालन सम्भव है।
4. कुछ मिल/उद्योग मौसमी होती है जैसे गुड़ एवं शक्कर मिले आदि।
5. कम पूंजी व कम लोगों के द्वारा कुटीर उद्योगों का संचालन किया जाता है।
6. अधिक पूंजी तकनीकी ज्ञान एवं अधिक कच्चा माल की उपलब्धता होने पर लघु उद्योग और वृहद पैमाने पर उपलब्ध होने पर वृहद उद्योग का संचालन किया जाता है।
7. कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूंजी की उपलब्धता बैंकों के माध्यम से ऋण दिया जाता है।
8. कृषि आधारित उद्योगों से लोगों की बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाती है।
9. सरकार द्वारा नियमानुसार कर आदि में छूट दी जाती है।
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उद्देश्य-
जबलपुर जिले में कृषि आधारित उद्योग की समस्यायें एवं सम्भावनाओं का अध्ययन करना।
चर-प्रस्तुत शोध-पत्र के निम्नलिखित चर शामिल है-
(1) स्वतंत्र चर- इसके अन्तर्गत औद्योगिक नीतियाँ, पंचवर्षीय योजनाएं, वैश्वीकरण, उदारीकरण, निजीकरण आदि शामिल है।
(2) परतंत्र चर- इसके अन्तर्गत ऐसे तत्वों के शामिल किया जाता है जो आपस में अन्तःक्रिया करते हैं जैसे बाजार, विपणन, आय का स्तर वंशानुक्रम, वातावरण एवं लिंग आदि।4
उपकरण
इस शोध-पत्र में उपकरण के लिए शोधार्थी द्वारा स्वनिर्मित प्रश्नावली का प्रयोग किया गया है। प्रश्नावली में कृषि पर आधारित उद्योगों की समस्याओं (वित्त, सामग्री एवं तकनीकी आदि) तथा सम्भावनाओं (रोजगार, बाजार व विकास आदि) से सम्बन्धित प्रश्नों के शामिल किया है।5
शोध-प्रविधि
कृषि आधारित उद्योग के चयन के लिए न्यादर्श प्रणाली का प्रयोग किया गया है। कुछ उद्योगांे/व्यवसायों का चयन न्यादर्श से किया गया है। कृषि आधारित विभिन्न प्रकार के उद्योगों/व्यवसायों को शामिल किया गया है जैसे- चावल मिल, आटा मिल, तेल मिल, मसाला उद्योग, बेकरी उद्योग, बड़ी/पापड़ उद्योग, अचार उद्योग, चिप्स उद्योग एवं पोहा उद्योग आदि शामिल किये गये हैं।6
सीमांकन-
प्रस्तुत शोध-पत्र में उद्योग के संचालन या प्रबन्धनों से कृषि उद्योग से सम्बन्धित समस्याओं एवं समस्याओं के अध्ययन के लिए जबलपुर जिले की सीमा के अन्तर्गत स्थापित या संचालित उद्योगों को शामिल किया गया है।
परिकल्पना-
प्रस्तुत शोध-पत्र में निम्नलिखित परिकल्पनाएं की गयी हैं &
1. जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
2. जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों को कोई वित्तीय समस्या नही है।
3. जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों को कच्चे माल की समस्या है।7
परिणामों का विश्लेषण &
इस शोध-पत्र में जबलपुर जिले में कृषि आधारित उद्योग की समस्यायें एवं सम्भावनाओं से सम्बन्धित एकत्रित सर्वेक्षित आकड़ों के सांख्यकीय विश्लेषण से निम्नलिखित परिणाम सामने आये है &
सारणी क्र.-1 जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगांे से रोजगार अवसरों मंे वृद्धि का विवरण
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83 |
17 |
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86-9 |
13-1 |
100 |
स्त्रोत‘- सर्वेक्षित आकडे़
उपरोक्त सारणी के अध्ययन से स्पष्ट है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों से रोजगार के अवसरों मंे वद्धि के लिए सबसे अधिक चावल मिल के संचालकों ने सकारात्मक उत्तर दिया है तथा सबसे कम अचार उद्योग के संचालकों ने अपने उत्तर में जवाब दिया है इस क्षेत्र में धान का अधिक उत्पादन होने के कारण चावल मिल के संचालकों ने रोजगार के अवसरों में अधिक संभावना व्यक्त की है। रोजगार वृद्धि के लिए औसतन 86.9 प्रतिशत संचालकों ने अपने प्रश्नों मंे हाँ में उत्तर दिया है तथा 13.1 प्रतिशत संचालको ने नकारात्मक जवाब दिया है निष्कर्ष स्वरूप यह कहा जा सकता है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों से रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो रही है।
सारणी क्र.2जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में लगे हुए रोजगार व्यक्तियों की औसतन संख्या
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स्त्रोत- सर्वेक्षित आकड़े
उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है कि सर्वाधिक श्रमिकों/कर्मचारियों की संख्या चुनी/खली उद्योग में लगे हुए है तथा सबसे कम आटा मिल एवं अचार उद्योग में कर्मचारियों/श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। कृषि आधारित उद्योग में औसतन 7.51 अर्थात् 8 श्रमिकों/कर्मचारियों की आवश्यकता होती है जिससे निष्कर्ष निकलता है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों से रोजगार में वृद्धि हुई है।
सारणी क्र.-3 जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में वित्त की समस्या का विवरण
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स्त्रोत- सर्वेक्षित आकड़े
उपरोक्त सारणी के विश्लेषण से स्पष्ट है कि सबसे अधिक वित्त की समस्या मसाला उद्योग के संचालकों ने बताई है तथा सबसे कम समस्या आटा मिलो के संचालकों के जवाब से प्राप्त हुई है। मसालों की कच्ची सामग्री अधिक महंगी होना भी एक कारण है। वित्त व्यवसाय में रक्त का कार्य करता है जिसकी आवश्यकता प्रत्येक कदम में होती है अतः कही न कही थोड़ी बहुत समस्या आती रहती है निष्कर्ष स्वरूप यह कहा जा सकता है कि अपूपपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों को वित्त की समस्या है।
सारणी क्र.-4 जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों मंे कार्यशील पूँजी की समस्या का विवरण
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100% |
स्त्रोत- सर्वेक्षित आकडे़
उपरोक्त सारणी से स्पष्ट हो रहा है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में सबसे अधिक कार्यशील पूंजी की आवश्यकता कच्ची सामग्री के क्रय हेतु रहती है तथा सबसे कम अन्य व्ययों के लिए होती है। कभी-कभार कार्यशील पूँजी की सर्वाधिक आवश्यकता स्थायी व्ययों के भुगतान के लिए तथा सबसे न्यूनतम श्रमिकों/कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए होती है अतः निष्कर्ष स्वरूप यह कहा जा सकता है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों मंे कार्यशील पूँजी की औसतन आवश्यकता पड़ती है।
सारणी क्र.-5 जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में कच्ची सामग्री की समस्या का विवरण (प्रतिशत में)
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Hkwlk@iSjk dk m|ksx |
69 |
7 |
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स्त्रोत- सर्वेक्षित आकड़े
उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में कच्ची सामग्री की सर्वाधिक समस्या पापड़/बड़ी उद्योग एवं चुनी/खली उद्योग में है तथा सबसे कम चावल मिलों के संचालकों ने अपने जवाब में बताया है। कभी-कभार के लिए सर्वाधिक समस्या अचार उद्योग व सबसे न्यूनतम चुनी/खली उद्योग के संचालकों के द्वारा अपने उत्तर मंे बताया गया है। निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में कच्ची सामग्री की समस्या चावल मिल को छोड़कर अन्य उद्योगों से सम्बन्ध में है।
सारणी क्र.-6 जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में उद्योगों में सामग्री की समस्या के प्रकार का विवरण (प्रतिशत में)
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7 |
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8 |
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45 |
21 |
21 |
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22 |
36 |
23 |
87 |
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10 |
Hkwlk@iSjk dk m|ksx |
14 |
34 |
38 |
81 |
स्त्रोत- सर्वेक्षित आकड़े
उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में गुणवत्ता में सर्वाधिक कमी मसाला उद्योग एवं पापड़/बड़ी उद्योग में एवं न्यूनतम के मामले में आटा मिल के संचालकों के द्वारा जवाब में बताया गया है। भण्डारण की समस्या सबसे अधिक तेल मिल में तथा सबसे कम चावल मिल व पापड़/बड़ी उद्योग के संचालकों ने अपने उत्तर में बताया है पैकिंग की समस्या के सम्बन्ध में सर्वाधिक भूसा/पैरा के उद्योग में तथा सबसे कम दाल मिलों में है ।
परिकल्पनाओं का सत्यापन-
(1) जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है, यह परिकल्पना सत्य पाई जाती है। (सारणी क्र.1 एवं 2 के विश्लेषण से स्पष्ट है।)
(2) जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों को कोई वित्तीय समस्या नही है यह परिकल्पना असत्य पाई गयी है। (सारणी क्र.3 व 4 के विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट है।)
(3) जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों के कच्चे माल की समस्या है यह परिकल्पना सत्य पाई गयी है। (सारणी क्र. 4 व 5 के विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट है।)
उपरोक्त विवरण से निष्कर्ष निकलता है कि जबलपुर जिले के कृषि आधारित उद्योगों में सामग्री के गुणवत्ता भण्डारण आदि की समस्यायंे हैं।
कृषि आधारित उद्योग की समस्यायें के समाधान हेतु सुझाव
1- कृषि आधारित उद्योगों को ऋण आसानी व कम ब्याज पर दिया जाना चाहिए।
2- कृषि आधारित उद्योगों को ऋण या वित्त की सुविधा का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
3- ऋण पर ब्याज की सब्सिडी दी जानी चाहिए तथा इसा प्रचार प्रसार भी पर्याप्त होना चाहिए।
4- सामग्री की गुणवत्ता हेतु तैयार किये गये मानको का कड़ाई से पालन करवाना चाहिए।
5- कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना एवं संचालन हेतु प्रोत्साहन योजनाओं का जन-जन तक प्रचार-प्रसार होना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हो सके।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची &
1- ओझा, एस. के. (2017);कृषि प्रौद्योगिकी बौद्धिक प्रकाशन पेज 312
2- गौतम, डाँ. आर. आर (2012) जैविक खेती से पर्यावरण संरक्षणः शोध पत्रिका रिसर्च डिस्कत्तरः वाल्यूम प्प् पेज 134-136
3- ओझा, डॉ. प्रवीण (2016)ः नवीन आर्थिक नीतिः शोध पत्रिका ए जर्नल ऑफ एशिया फॉर डेमोक्रशी एण्ड डवलपमेन्टः वाल्यूम गअप (1) पेज 124-126
4- शुक्ला, डॉ. (श्रीमती) बिन्दु (2016)ः विश्व व्यापार संगठन और भारतीय कृषिः शोध पत्रिका समाज वैज्ञानिकी
5- गुप्ता, डॉ. बी.एन. (2014);सांख्यिकी के सिद्धान्त एस. बी. पी.डी. पब्लिशिंग हाउस आगरा पेज 31-53
6- शुक्ला, डॉ. एस.एम. (2016);सांख्यिकी के सिद्धान्त साहित्य भवन पब्लिकेशन पेज 341-563
7- सोनी, डॉ. अशोक (2011);मध्यप्रदेश में कृषि उद्योग एवं आर्थिक विकास ;शोध-पत्रिका ए जर्नल ऑफ एशिया फॉर डेमोक्रशी एण्ड डवलपमेन्ट ;बाल्यूम पग (4) पेज 170-175
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Received on 30.03.2023 Modified on 10.04.2023 Accepted on 17.04.2023 © A&V Publication all right reserved Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2023; 11(1):37-42. DOI: 10.52711/2454-2687.2023.00006 |